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Monday, March 16, 2020

चीन से निकलकर पुरी दुनिया को चपेट में लेने वाले करोना वायरस की दास्तां एक नज़र विशेष करोना वायरस पर

कोरोना को लेकर पिछले 2 महीने से चीन में और अब पूरी दुनिया में हाहाकार मचा हुआ है. ईरान से लेकर इटली तक और इंग्लैंड से लेकर अमेरिका तक और अब तो भारत में भी कोरोना दाखिल हो चुका है. चीन से निकले इस जानलेवा वायरस का जिस तरह अभी तक इलाज नहीं मिला है उसी तरह इस वायरस के रहस्य को भी अभी तक सुलझाया नहीं जा सका है. लिहाज़ा इस वायरस की तह तक पहुंचना बेहद ज़रूरी है. ये जानना जरूरी है कि कोरोना आखिर कब, कैसे, क्यों और कहां से आया?

जनवरी 2019, इंस्टिट्यूट ऑफ वायरलॉजी नेशनल बायोसेफ्टी लैब. वुहान, चीन
चीन की वुहान लैब में इबोला, निपाह, सॉर्स और दूसरे घातक वायरसों पर रीसर्च कर रहे वैज्ञानिक अपने माइक्रोस्कोप में एक अजीब सा वायरस नोटिस कर रहे थे. मेडिकल हिस्ट्री में ऐसा वायरस पहले कभी नहीं देखा गया था. इसके जेनेटिक सिक्वेंस को गौर से देखने पर पता चल रहा था कि ये चमगादड़ के करीबी हो सकते हैं. वैज्ञानिक हैरान थे क्योंकि इस वायरस में वो सार्स वायरस के साथ समानता को देख पा रहे थे. जिसने 2002-2003 में चीन में महामारी ला दी थी और दुनिया भर में 700 से ज़्यादा लोग मारे गए थे. उस वक्त भी ये बताया गया था कि सार्स छूने और संक्रमित व्यक्ति के छींकने या खांसने से फैलता है. लेकिन तब चीन इस वायरस को छुपा ले गया था.
दिसंबर का पहला हफ्ता 2019, वुहान, चीन
दिसंबर का आखिरी हफ्ता 2019, वुहान, चीन
डॉ. ली वेनलियांग के अस्पताल में स्थानीय सी-फूड मार्केट से करीब सात मरीज़ पहुंचे. ये वही डॉ ली वेनलियांग थे, जिन्होंने दुनिया को पहली बार इस जानलेवा वायरस से आगाह कराया था. बहरहाल इन मरीज़ों के लक्षण देखकर ही डॉ ली को समझ में आ गया कि ये सभी के सभी किसी अनजान घातक वायरस के शिकार हो गए हैं. उन्होंने फौरन इस बीमारी के बारे में दूसरे डॉक्टरों को अलर्ट किया. और इस वायरस के बारे में अपनी रिपोर्ट दी. इतना ही नहीं इस बारे में उन्होंने वीचैट एप पर अपने मेडिकल कॉलेज के एलुमनी ग्रुप में भी जानकारी दी. और सबको अपने जानकारों, दोस्तों और रिश्तेदारों को इस बारे में आगाह करने को कहा लेकिन कुछ ही घंटों में उनके मैसज का स्क्रीनशॉट वायरल हो गया.
जनवरी का पहला हफ्ता 2020, वुहान, चीन
नए साल के जश्न में दुनिया और चीन डूबे थे. और ठीक उनकी नाक के नीचे ये वायरस लगातार फैलता जा रहा था. 7 से 14, 14 से 21, 21 से 42 होते. ये तादाद हज़ार तक जा पहुंच गई. मगर चीन इस पर रोकथाम के बजाए. इस जानलेवा बीमारी को दुनिया से छुपाने में ही लगा रहा.
25 जनवरी 2020, इंस्टिट्यूट ऑफ वायरलॉजी नेशनल बायोसेफ्टी लैब, वुहान, चीन
अंग्रेज़ी नए साल के बाद आया चीनी नया साल. अफरातफरी से बचने के लिए चीन ने इस जानलेवा वायरस की खबर को सामने तो नहीं आने दिया. मगर अंदर ही अंदर वुहान के इंस्टिट्यूट ऑफ वायरलॉजी नेशनल बायोसेफ्टी लैब में इसकी जांच चलने लगी. यूं भी इस लैब में पिछले कई सालों से चमगादड़ों से फैलने वाली बीमारियों पर रिसर्च चल रही थी. ये रिसर्च इसलिए थी क्योंकि ना सिर्फ वुहान और आसपास के इलाकों में चमगादड़ों की तादाद ज़्यादा है. बल्कि यहां चमगादड़ों और दूसरे तमाम जानवरों का मांस खाने और सूप पीने का चलन भी ज़ोरों पर था. और अब तक की जांच में ये तो साफ हो रहा था कि हो ना हो ये जानलेवा वायरस इन्हीं चमगादड़ों से ही फैला है. चाइनीज सेंटर फॉर डिज़ीज़ कंट्रोल एंड प्रिवेशन की स्टडी के डेटा भी इसी तरफ इशारा कर रहे थे.
फरवरी का पहला हफ्ता 2020, वुहान, चीन
डॉ. ली वेनलियांग इस बीच लगातार अपने डॉक्टर साथियों और लोगों को इस जानलेवा वायरस से ना सिर्फ आगाह कर रहे थे. बल्कि पीड़ितों को आइसोलेशन वार्ड में रखकर अपने तौर पर इलाज भी कर रहे थे. इस बीच ये खबरें चीन से निकलकर दुनिया तक पहुंचने लगी. चीन ने भी अब तक मान लिया कि उसके मुल्क को कोरोना नाम की एक महामारी ने जकड़ लिया है. वहीं दूसरी तरफ चीनी सरकार ने 34 साल के डॉक्टर ली के वायरल हो चुके कोरोना वायरस से आगाह करने वाले मैसेज का संज्ञान लेते हुए. नोटिस भेजकर जवाब मांगा. मगर डाक्टर ली की परेशानियां यहीं खत्म नहीं हुईं. इसके फौरन बाद उनपर अफवाह फैलाने का आरोप लगा दिया गया और उन्हें लिखित में मांफी मांगनी पड़ी. इस बीच वुहान और आसपास के इलाकों के साथ साथ पूरा चीन इस जानलेवा वायरस की चपेट में आ चुका था. और उससे होने वाली मौतों का आंकड़ा लगातार बढ़ता जा रहा था.
7 फरवरी 2020, वुहान, चीन
अचानक खबर आई की कोरोना वायरस के बारे में सबसे पहले जानकारी देने वाले डॉक्टर ली की मौत हो गई है. बताया गया कि डॉक्टर ली 12 जनवरी से अस्पताल में भर्ती थे. और 30 जनवरी को पता चला कि वो कोरोना वायरस की चपेट में आ चुके हैं. चीन ने कहा कि उन्हें बचाने की कोशिश हुई. लेकिन बचाया नहीं जा सका. वुहान सेंट्रल हॉस्पिटल ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि डॉ ली की मौत 7 फरवरी की. रात करीब 2 बजकर 58 मिनट पर हुई. बताया गया कि उन्हें कफ और बुखार था. हालांकि सरकार विरोधी गुटों का ये मानना था कि चीन ने उन्हें इस महामारी का खुलासा करने की सज़ा दी है.
मरीजों को मारने की अर्जी!
ये खबर इसलिए भी हावी हुई क्योंकि शुरुआत में चीन के 20 हज़ार कोरोना पीड़ितों को मार देने के लिए सुप्रीम पीपुल्स कोर्ट में अर्जी देने वाली खबर भी आई थी. मगर ये दोनों ही खबरें कंफर्म नहीं हो सकी. लेकिन चीन में जो कंफर्म हुआ. वो था दुनिया में अबतक का सबसे जानलेवा वायरस के सामने आने का सच. जो अब तक देखते देखते ही हज़ारों लोगों को अपनी चपेट में लेकर बेमौत मार चुका था.

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